Top 2 Short Moral Stories in Hindi Language | जीवन मूल्य पर कहानी

दोस्तों आज की इस Short Moral Stories in Hindi में हम आपके लिए दो बेहतरीन कहानी लेकर आए हैं। यह कहानी आपके दिल को छू लेगी और साथ ही इन कहानी से आपको जीवन के मूलभूत सिद्धांत भी सीखने को मिलेंगे।

 

एक पागल और ठेले वाले कि Short Moral Stories in Hindi

एक शहर में गोविंद नाम का आदमी रहता था। वह रोज सुबह मार्केट में अपने ठेले पर लिट्टी चोखा बेचता था। उसी मार्केट में एक पागल रहता था जो गोविंद के आने का हर रोज इंतिजार करता था। जब गोविंद अपना ठेला लेके मार्केट आता, तब वह पागल दूर खड़ा होकर ठेले की तरफ देखता रहता।

Short Moral Stories in Hindi

 

वह पागल दुआ करता कि कब उस ठेले के पास भीड़ बढ़े ताकि वह चुपके से खाकर वहां से भाग सके। इंतजार करने के कुछ देर बाद गोविंदा के ठेले में भीड़ बढ़ने लगती है वह पागल ठेले के पास जाता और चुपचाप खाने के बाद वहां से चला जाता है।

रोजाना वह इसी तरह करता, रोज सुबह गोविंदा के आने का इंतजार करता। जब गोविंद आता तो दूर से खड़ा होकर उसके ठेले को देखता और जैसे ही ठेले में भीड़ बढ़ने लगती है तो वह ठेले के पास जाकर लिट्टी चोखा खाता और फिर चुकपे से वहां से चला जाता। यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा।

एक दिन एक व्यक्ति ने गोविंद से कहा, अरे भाई गोविंद में रोज देखता हूं कि यह पल तुम्हारे ठेले पास आता है और खाकर चला जाता है पैसे भी नहीं देता क्या तुम्हें इस बात की जानकारी है। गोविंद कहता हां मुझे पता है की यह पागल रोज मेरे ठेले के पास आता है और बिना पैसा दिए खाकर चला जाता है।

लेकिन गोविंद तुमने तो उसे कभी कुछ नहीं बोला। गोविंद- मैंने उसे इसलिए कभी कुछ नहीं बोला क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि उसकी वजह से ही मेरी बिजनेस में तरक्की हो रही है। जब मैं सुबह यहां ठेला लेकर आता हूं, तब यह पागल मेरे ठेले के पास भीड़ बढ़ने की दुआ करता है और शायद उसकी दुआओं का ही असर है कि मेरे ठेले के पास भीड़ बढ़ने लगती है और इसी वजह से मेरा बिजनेस भी अच्छा चल रहा है।

इसी कारण से मैंने आज तक उस पागल को कभी कुछ नहीं बोला। उसके खाकर चले जाने से मेरे बिजनेस में कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन उसकी दुआओं का असर मेरी बिजनेस में जरूर देखने को मिलता है। यह सब सुनकर उस व्यक्ति ने कहा कि, यह बात तो तुम्हारी सच है उसकी दिल से मांगी गई दुआ तुम्हारी बिजनेस की तरक्की में दिखाई देती है।

गोविंद ने कभी भी उस पागल को यह एहसास होने नहीं दिया कि उसे सब कुछ पता है। वह पागल जब ठेले के पास आता तो गोविंद अपने काम में व्यस्त रहता। पागल को लगता है की गोविंद को उसके बारे में नहीं पता और वह खा कर चला जाता फिर अगले दिन गोविंद के आने का इंतजार करता।

दोस्तों कभी-कभी पैसों से ज्यादा दुआ मायने रखती है। क्या पता आपकी तरक्की के पीछे किसी के दिल से मांगी दुआ शामिल हो। गोविंदा के जीवन में भी एक तरह से उस पागल की दुआ का ही असर है जिससे कि गोविंदा का बिजनेस काफी अच्छा चल रहा है।

 

अहंकारी नरेश Short Moral Stories in Hindi

ये कहानी नरेश नाम के एक गायक की है। वह एक छोटे से गाँव में रहता था और उसी गाँव में जब भी कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम या शादी-व्याह होता, तब वह अपने गायन से लोगों का मनोरंजन करता। नरेश के जैसा गायन पूरे गाँव में कोई नहीं करता था। इसी वजह से पूरे गाँव में नरेश का काफी सम्मान और इज्जत था।

धीरे-धीरे नरेश के गायन की चर्चा आस पास के गाँव में भी होने लगी जिससे उसकी लोकप्रियता और भी बढ़ने लगी। अब नरेश को कार्यक्रम करने के अच्छे खासे पैसे मिलने लगे। नरेश पहले के मुकाबले काफी अमीर होने लगा। उसे अब एहसास होने लगा कि मेरे जैसा गायन कोई भी नहीं कर सकता है और नरेश की यही सोच उसका अहंकार बनने लगा।

Short Moral Stories in Hindi

 

एक दिन गाँव में सतीश नाम का एक लड़का अपने मामा के यहाँ कुछ दिनों के लिए रहने आता है। सतीश गाँव घूमने के लिए घर से बाहर निकलता है तो वह देखता है कि कुछ बच्चें आपस में अन्तराछरी खेल( अक्षर के अनुसार गाना गाने वाला एक खेल) रहे है तभी सतीश वहाँ पर जाता है और बच्चों से कहता है कि क्या मैं भी यह खेल सकता हूं। बच्चे सतीश को अपने साथ खिलाने के लिए मान जाते गए।

सतीश बच्चों के साथ खेलने लगता है और कुछ देर में सतीश के गाने की बारी आती है। जब सतीश गाना शुरू करता है तो बच्चों के साथ-साथ वहां पे मौजूद लोग भी सतीश के मधुर आवाज के दीवाने हो जाते हैं। कुछ लोग सतीश के पास आते है और उससे पूछते है, बेटा तुम कहा से हो?। सतीश बताता है कि मैं यहां अपने मामा के यहां आया हूं।

गाँव में नवरात्रि का पर्व शुरू हो जाता हैं ऐसे में कुछ लोग सतीश के मामा के घर आते हैं और बोलते हैं की क्या आप सतीश को नवरात्र के जागरण में गायन के लिए भेज सकते हैं क्योंकि जब हमने सतीश की आवाज सुनी तो उसकी आवाज हमें काफी मधुर और सुरीली लगी। सतीश के मामा मान जाते हैं और फिर सतीश नवरात्र के जागरण में गायन के लिए जाता है। 

जागरण में सतीश की आवाज सुनकर गांव के सभी लोग झूमने और तालियां बजाने लगते हैं। इस जागरण में मौजूद नरेश यह सब देखकर काफी दुखी हो जाता हैं। क्योंकि लोग अब नरेश के अहंकार के कारण उसकी कद्र कम करने लगे लेकिन वहीं दूसरी तरफ सतीश को काफी इज्जत और सम्मान मिलने लगा। अब गांव का हर एक व्यक्ति सतीश की मधुर आवाज के कारण सतीश को जानने लगे थे।

एक दिन नरेश अपने घर में काफी उदास बैठा रहता है, तब उसके पिता गोविंदा के पास आते हैं और कहते हैं क्या हुआ बेटा कुछ दिनों से तुम बहुत उदास दिख रहे हो, तो इस पर नरेश बोलता है कि अब गांव के लोग मेरी कदर नहीं करते और ना ही किसी गायन के लिए मुझे बुलाते हैं। तब नरेश के पिता कहते हैं, बेटा बात गायन की नहीं है लोग तुमसे दूर तुम्हारी अहंकार के कारण हुए हैं क्योंकि जब लोग तुम्हारी कदर कर रहे थे तब तुमने लोगों की कद्र नहीं की और यही वजह है कि अब लोग तुमसे दूर हो गए हैं।

 

दोस्तों नरेश के अहंकार ने ही गाँव में उसकी मान और मर्यादा को छीन लिया। यह सच है कि जब लोग सफलता की ओर बढ़ते हैं तब उन्हें और विन्रम हो जाना चाहिए क्योंकि अहंकारी व्यक्ति अक्सर लोगों के दिलों में जगह नहीं बना पाते। हम आशा करते है कि आपको यह Short moral stories in hindi पसंद आई होगी। 

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