Safar Ki Dua in Hindi | सफर की दुआ हिंदी में

आज की पोस्ट एक ऐसी स्पेशल दुआ के बारे में है जो हमेशा आपके काम आएगा जिसे Safar ki Dua कहते है। आप ऐसा मत समझिएगा की Safar ki Dua in Hindi पढ़ने से कुछ भी नहीं होगा, ये बुरे हालात और बुरी जादुयो से हिफाज़त करने में बहुत काम अता है।

क्या आप जानते हैं की इस्लाम में सफर करना भी एक इबादत माना जाता है। इस्लाम में जिंदगी के हर एक मसले में रहनुमाई की गई है, जिसमें सफर भी शामिल है।

साथ ही साथ हम आपको सफर के दौरान और सफर की तैयारी के दौरान शरीयत के हिसाब से जो तरीका होना चाहिए उसके बारे में भी बताएंगे।

वैसे तो बहुत सारी दुआएं है जिसको आप सफर करने के दौरान पढ़ सकते हैं लेकिन यहां हमने कुछ खास दुआ बताइ है जो अक्सर सफर के दौरान पढ़े जाते हैं।

 

Safar ki Dua in Hindi

वैसे तो इस्लाम में हर काम के लिए मौजूद दुआ बताया गया है लेकिन यहां आप Safar ki Dua के बारे में जानेंगे।

इस दुआ को पढ़ने से पहले बिस्मिल्लाहहिर्रहरामनिर्रहीम और तीन-तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ कर फिर आसमान की तरफ अपना मुँह करके फूंक मार दे। 

इस दुआ का इतना असर हैं की इस दुआ से सफर में आपकी हिफाजत होगी और आप पर रहमत होगी। आपकी सफर की मुराद पूरी होगी और आपको गैबी मदद भी हासिल होगी।

 

सफ़र का इरादा करें, तो यह दुआ को पढ़ें

Safar ki Dua in Hindi

“अल्लाहुम-म बि-क असूलु व बि-क अहूलु व बि-क असीरु०”

तर्जुमा – अल्लाह मैं तेरी मदद से ही हमला करता हूं, तेरी ही मदद से उनको दूर करने की तद्-बीर करता हूं तथा तेरी ही मदद से चलता हूं।

 

Safar Ki Dua in Hindi

“सुब्हानल्लज़ी सख्खर लना हाज़ा वमा कुन्ना लहू मुक़रिनीन, व इन्ना इला रब्बीना लमुनक़लिबुन”

तर्जुमा – वो पाक है जिसने इसको हमारे काबू में कर दिया और हम में ताकत न थी कि इसको काबू में कर लेते और हमको अपने रब की तरफ़ ही लौट कर जाना है।

यह दुआ उस वक़्त पढ़ते है जब सफ़र शुरू कर देते है यानि किसी भी माध्यम से जैसे कार, ट्रेन या हवाई जहाज़ में सफ़र करना शुरू कर देते है तब यह दुआ पढ़ सकते है।

 

सफर के दरमियान की दुआ

इससे पहले जो भी सफ़र के हवाले से पढ़ा है वो तो सफ़र में पढ़ना ही है लेकिन यह दुआ सफ़र दरमियान यानि सफ़र के बिच में पढ़ा जाता है।

यानि जो पहले दुआ बताया गया है वह पढ़ने के बाद यह दुआ को पढ़ा सा सकता है या भूल जाए और सफ़र के बिच में या आखिर में याद आए तो भी पढ़ सकते है।

“अल्लाहुम-म इन्ना नस् अलु-क फ़ी स-फ़-रिना हाज़ल बिर-र वत्तक़्वा व मिनल अ-म लि मा तर्ज़ा अल्लाहुम-म हव्विन अलैना स-फ़-र-ना हाजा़ वत्वि-ल-ना बुअ् द हू अल्लाहुम-म अन्तस्साहिबु फ़िस्स-फ़-रि वल ख़लीफ़तु फि़ल अहिल अल्लाहुम-म इन्नी अअूज़ुबि-क मिंव-वअ् साइस्स-फ़ रि व का ब ति ल मन्ज़रि व सूइल मुन्क़-ल-बि फ़िल मालि वल अहि्ल व अअूज़ुबि-क मिनल हौरि बअ दल कौरि व दअ वतिल मज़्लूम”

तर्जुमा – 

ऐ अल्लाह, हम तुझ से इस सफ़र में नेकी तथा परहेज़गारी का सवाल करते हैं तथा हम उन आमाल का सवाल करते हैं जिनसे आप राजी हों।

ऐ अल्लाह, हमारे इस सफ़र को हम पर आसान फ़रमा दे तथा इसका रास्ता जल्दी जल्दी तय करा। ऐ अल्लाह, तू स़फर में हमारा साथी है तथा हमारे पीछे घर बार का कारसाज़ है।

ऐ अल्लाह, मैं तेरी पनाह चाहता हूं सफ़र की मशक्क़त तथा घर बार में बुरी वारसी से तथा बुरे हालात के देखने से तथा बनने के बाद बिगड़ने से तथा मज़्लूम की बद्-दुआ से।

 

Safar Se Wapsi Ki Dua

जब सफ़र से वापस आ जाएँ और इस दौरान अल्लाह ने आपकी हिफाज़त की।

तो अब आप पर ज़रूरी है कि उसकी हम्दो सना और तारीफ में ये चंद अलफ़ाज़ ज़रूर कहें।

जिसको नबी स.अ. सफ़र से वापसी पर पढ़ा करते थे और साथ ही साथ 2 रकअत निफ़िल नमाज़ अदा करें।

“आअिबूना ताअिबूना आ़बिदूना साजिदूना लि रब्बिना हामिदून”

तर्जुमा – हम सफर से आने वाले है, तौबा करने वाले है, इबादत करने वाले है, सजदा करने वाले है और अपने खुदा की हम्द करने वाले है।

 

किसी मंज़िल यानी की रेलवे या बस स्टेशन पर उतरे तो यह दुआ पढ़ें

“अअूज़ु बिकलिमातिल्लाहित्ताम्माति मिन शर्रि मा ख-लक०”

तर्जुमा – अल्लाह के पूरे कलिमात के वास्ते से अल्लाह की बनना चाहता हूं उसकी मख़्लूक़ के शर से।

 

शहर या बस्ती में दाखिल होने की दुआ

दोस्तों जब आप किसी बस्ती या शहर या अपने गाँव में दाखिल होने लगे यानि सफ़र खत्म होने के बाद या किसी और वजह से बाहर से शहर या बस्ती में दाखिल होने लगे तो यह दुआ पढ़े।

“अल्लाहुम-म बारिक लना फ़ीहा०”

तर्जुमा – ऐ अल्लाह, तू हमें इस में बरकत दे।

 

यह दुआ याद नहीं हो रहा है और कोई दूसरा दुआ पढ़ना चाहते है तो यह पढ़े:

“अल्लाहुम-मर्ज़ुक़्ना जना हा व हब्बिब्ना इला अहिल हा व हब्बिब सालिही अहिलहा इलैना०”

तर्जुमा – ऐ अल्लाह, तो हमें इसके मेवे नसीब फ़रमा तथा यहां के बाशिंदों के दिलों में हमारी मोहब्बत तथा यहां के नेक लोगों की मोहब्बत हमारे दिलों में पैदा फ़रमा दें।

 

इस्लाम में कितनी दुरी को सफर माना जाता है?

इस्लाम में किसे सफर माना जाता है इस बात पर आज भी लोगों की अलग अलग राय है। बहुत से लोगों का यह कहना है कि अगर मेरा सफर 90 किलोमीटर से ज्यादा होता हैं तो उसे सफर मान लिया जाए। चाहे उस सफ़र को पूरा करने के लिए वे हवाई जहाज, ट्रेन या बस का प्रयोग किया हो। कुछ लोगों का यह कहना है कि अगर सफर में 2 दिन का समय लगा हो तो उसे सफर माना जाएगा।

सफर को लेकर इस्लाम से जुड़े लोगों की अपनी अलग अलग राय है। अल्लाह तल्लाह आपकी नियत को देखता है आप Safar ki Dua in Hindi पढ़ कर ही अपना सफर शुरू करे और कोशिश हो की घर से वुजू करके निकले।

वजू भी एक मुस्तकिल इबादत है, क्या पता की दुनिया में किया गया कौन सा काम अल्लाह तल्लाह को पसंद आ जाये और हमारी बक्शीश का बाइस बन जाए।

इस्लाम में अच्छी बाते फैलाना भी सदका- ए – जरिया है जैसे:

  • ट्रेन में चढ़ते समय सफर की दुआ पढ़कर अपनी सीट पर जाकर बैठ जाएं।
  • हमेशा ट्रेन छूटने से 10 से 15 मिनट पहले स्टेशन पर आएं।
  • अपने ही साथ सफर कर रहे, और दूसरे छोटे और बूढ़े लोगों का ख्याल रखें।

 

Safar Ki Dua in Hindi आखिरी बाते 

नाज़रीन इस पोस्ट में Safar ki Dua in Hindi के मुताल्लिक बहुत सारे दुआ को पढ़ा और सीखा, जो की सफ़र के हवाले से अलग अलग मौके पर पढ़ा जाता है।

जो अपने आप में हजारो सवाब को रखता है और जो शख्स इसको पढ़ता है तो पढ़ने वाले को आसानी से मिल जाता है तो क़यामत के दिन इसका अज़र मिलेगा।

इन सभी दुआ को पढ़ने से एक और बड़ा फायदा यह होगा की आप बुरी आफत और बुरी नज़र से हिफाज़त हो जाएगी।

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तो दोस्तों हम आशा करते है कि Safar ki Dua in Hindi आपको पसंद आई होगी। हम आप से सिर्फ एक उम्मीद कर सकते है की आप इस तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे।

Safar ki Dua FAQs

सफ़र क्या है?

जब हम एक जगह से किसी दुसरे जगह किसी भी सवारी से जाते है जैसे – गाड़ी, बस, ट्रेन, जहाज़,आदि तो उसे सफ़र कहते है या आप एक city से दुसरे city, एक शहर से दुसरे शहर जाते है तो उससे सफ़र कहते है।

कितनी दुरी को सफ़र माना जाता है?

इस्लाम में सफ़र की दुरी कितनी होती है इसमें इख्तेलाफ़ है और अलग अलग लोग अपनी कैलकुलेशन के हिसाब से बताते है जैसे की कुछ उलमा कहते है की 90 किलोमीटर की दुरी करना सफ़र माना जाता है। उसी तरह कुछ उलमा यह मानते है की 2 दिन की सफ़र करना भी सफ़र माना जाता है लेकिन अल्लाह ता’अला आपकी नियत देखता है।

सफ़र की दुआ पढ़ना फ़र्ज़, सुन्नत या नफिल है?

Safar ki Dua एक ऑप्शनल इबादत यानि नफिल इबादत है। जिसका मतलब यह है की यह अमल करने से बहुत ज्यादा सवाब और बुरी आफत से हिफाज़त होगी लेकिन नहीं पढ़ने से कोई गुनाह नहीं होगा।

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