Heart Touching Emotional Love Story | दिल छू लेने वाली इमोशनल लव स्टोरी
दोस्तों मेरा नाम राधिका है। आज मैं आपसे अपनी इमोशनल लव स्टोरी शेयर करने जा रही हूँ।
मेरा एक राहुल नाम का बॉयफ्रेंड था। पिछले साल तक मैं उसे अपना सिर्फ़ दोस्त ही समझती थी। लेकिन जब हम पिछले साल एक पिक्निक पर गये तो मुझे लगा की मैं उसे प्यार करने लगी हूँ। मैने उसे अपने दिल की बात कह दी। वो भी मुझसे प्यार करता था लेकिन मुझसे कह नहीं पाता था।
जल्दी ही हम दोनों पूरे स्कूल में लवर्स के नाम से मशहूर हो गये। लेकिन हमारे प्यार में एक फ़र्क था। जहाँ मैं उसे दिलो-जान से चाहती थी और सिर्फ उसी के पीछे पागल रहती थी। लेकिन राहुल हमेशा और लड़कियों से भी बात करता रहता था। कभी कभी मुझे लगता कि था कि मैं उसके लिए उन बहुत सी लड़कियों में से एक लड़की हूँ।
एक दिन मैने उसे पूछा- राहुल, मेरे साथ एक मूवी देखने चलोगे? राहुल ने मना कर दिया।
बोला – मुझे एक दोस्त के पास जरूरी काम से जाना है।
उसके साफ माना करने पर मुझे बहुत बुरा लगा।
वो अक्सर मेरे साथ ऐसा ही करता था। मेरे सामने ही बहुत देर दूसरी लड़कियों से बात करता रहता था। हमारे लव में लव का वर्ड सिर्फ़ मेरी ज़ुबान पर ही आता था। उसने तो शायद ही कहा हो कभी- आई लव यू ,सिवाय उस पहले दिन के।
हमेशा ऐसा ही चलता था। बस वो अक्सर मुझे एक गुड़िया ज़रूर देता रहता था जो गुलाबी कपड़े पहने होती थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आता था। लेकिन राहुल ने दी है यही सोच कर मैं हर गुड़िया को अपने घर ले जाती थी।
ऐसे ही एक दिन मैने कहा – राहुल सुनो!
उसने कहा – क्या है। जल्दी कहो?
मैने कहा – आई लव यू राहुल।
राहुल ने कहा हाँ, वो तो मुझे पता है। लो ये गुड़िया लो और घर जाओ। ऐसे ही मेरा कमरा उसकी दी हुई गुडियों से भरता गया। एक, दो, तीन ……. ऐसे ही 200 गुड़िया हो गए मेरे पास।
फिर मेरा 21वा बर्थडे आया. मैने सोचा कि अब तो ज़रूर वो मुझसे कुछ रोमांटिक बात कहेगा। मैं बहुत एक्साईटेड थी। मैं सोच रही थी की वो मुझे पार्टी देगा। फिल्म दिखाएगा वग़ैरा वग़ैरा। लेकिन सारा दिन निकल गया और मैं उसके आने का या उसके फोन कॉल का इंतज़ार करती रही। सारा दिन, सारी शाम बीत गयी लेकिन कोई फोन तक नहीं आया।
फिर अचानक रात को बारह बजने से ठीक पहले राहुल का फोन आया- बाहर आओ। मैं घर से बाहर आई तो देखा की राहुल वही गुड़िया ले कर खड़ा है। मुझे उसे देखकर गुस्सा भी आया और उसके आने की खुशी भी थी।
मैने कहा – ये क्या?
उसने कहा की ये मैने दिन में नहीं दी ना इसलिए अभी दे रहा हूँ, बाय।
बाय करके वो चला गया। मुझे बहुत बुरा लगा। मैने पीछे से उसे आवाज़ दी। बोली- राहुल तुम्हें
पता है आज कौन सा दिन है?
उसने कहा – नहीं, कौन सा दिन है आज?
फिर वो चल दिया. मैने गुस्से से कहा. रूको,
कहो कि तुम मुझसे प्यार करते हो! कहो – यूं लव
मी !
राहुल बोला- प्यार इतना आसानी से नहीं होता और ना ही ऐसे कहा जाता है। इतना बोलकर वो चला गया। मैं तो रो पड़ी, सुबह होने तक मैं रोती रही।
जाने क्यों मैं उससे मिलना नहीं छोड़ पा रही थी और वो हमेशा मुझे एक छोटी सी गुड़िया देता रहा।
एक दिन मैं जब स्कूल से बाहर आई तो देखा की वो एक दूसरी लड़की के साथ सड़क पे जा रहा था। वो उस उस लड़की से घुल-मिल के बात कर रहा था और मुस्कुरा रहा था लेकिन मेरे साथ ऐसा कभी नहीं करता था।
मैं रो पड़ी, रोते रोते घर आई और उन सारी गुडियों पर नज़र डाली जो मेरे कमरे में थी उसकी दी हुई। मुझे लगा की ये सारी गुड़िया मेरा मुँह चिढा रही हैं। मैने गुस्से में वो सारी गुड़ियां उठाई और ज़मीन पे फेंक दी।
अचानक उसका फोन आया। बोला, जल्दी से घर के बाहर पार्क में आओ। मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर मैं चली गयी। मिली तो बोली क्या है? उसने फिर एक बड़ी सी गुड़िया मेरे हाथ में रख दी।
मैने कहा- नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी गुड़िया। क्या है ये सब? न तो मुझे ये गुड़िया चाहिए न मुझे तुमसे अब मिलना है। ये कह के मैने वो गुड़िया वहीं सड़क पे फेक दी।
पहली बार राहुल आँखों में कोई इमोशन नज़र आया। उसकी आँखों में आँसू थे। वो बोला- आई एम् सॉरी और वो जाकर उस गुड़िया को उठाने लगा। मैं चिल्लाई- अब उस गुड़िया को उठाने की क्या ज़रूरत है, पड़ी रहने दो उसे वहीं पे। लेकिन वो सड़क के किनारे उसे उठा कर खड़ा हुआ और मेरी तरफ देखने लगा।
अचानक एक ट्रक बड़ी तेज़ी से आया। लेकिन राहुल अपनी जगह से हिला ही नहीं। मैं चिल्लाई- राहुल, हटो, हटो। लेकिन वो बस गुड़िया हाथ में लिए मेरी ओर देखता रहा और इतनी ही देर में उस ट्रक ने राहुल को जोर से टक्कर मार दी।
इस तरह राहुल मेरी जिंदगी से चला गया। उसके जाने के बाद एक-एक दिन मैने कैसे गुजारा, मैं ही जानती हूँ। रो रो के मेरा बुराहाल था। कई महीने ऐसे ही बीत गये। फिर एक दिन मैने ऐसे ही उसकी एक गुड़िया उठा ली। यही तो उसकी निशानियाँ थी मेरे पास।
मैने उसके साथ बिताए हुए उन लम्हो को याद करके एक-एक गुड़िया उठाने लगी – एक, दो,तीन ,…… और गिनती 453 तक पहुँच गयी। मैं रो पड़ी, रोते हुए मेरी उस हाथ की मुट्ठी बंध गयी जिसमें मैंने गुडिया पकड़ी हुई थी। अचानक आवाज़ आई- आई लव यू, आई लव यू, आई लव यू …!!!
मैं चौंक पड़ी- ये राहुल की आवाज़ कहाँ से आई। अचानक ध्यान गया कि मैने गुड़िया के पेट पे कस के दबाया तो फिर आवाज़ आई- आई लव यू, आई लव यू, आई लव यू… राहुल की आवाज़ अब रुक ही नही रही थी. मैने एक के बाद दूसरी गुड़िया उठा कर उसका पेट दबाया तो आई लव यू की आवाज़ ही आ रही थी।
फिर मैने आख़िरी गुड़िया, जो मैने सड़क पर फेंक दी थी वो उठा कर उसका पेट दबाया तो राहुल की आवाज़ आई- राधिका तुम्हें शायद पता न हो, लेकिन मैं तुमसे बेइंतहा प्यार करता हूँ। I Love You!
मेरे आंखों से आंसू रुकने का नाम नही ले रहे थे। मैने सर उठाया और रोते-रोते भगवान से पूछा कि ये मुझे इतनी देर से आज क्यूँ पता चला कि राहुल मुझसे कितना प्यार करता था।
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दोस्तो ये थी मेरी इमोशनल लव स्टोरी जो कभी पूरी नही हो पाई। आज भी मेरे पास सिर्फ उसकी याद है। उसी के सहारे मैं जी रही हु। कभी-कभी एक गलती से हम अपना सब कुछ खो देते है।