रियल रोमांटिक लव स्टोरी | Short Romantic Love Story

दिल छू लेने वाली Short romantic love story

 

मेरा नाम श्याम है। वैसे देखा जाए तो मैं बहुत शांति स्वभाव का हु जिसे प्राकृति की सुंदरता से बहुत लगाव है।

Short Romantic Love Story

मेरे घर से थोड़ी ही दूर एक पार्क है जहां शाम के वक़्त काफी भीड़ रहती है। एक दिन मैं भी शाम के वक़्त टहलते हु उस पार्क में चला गया। थोड़ी देर पार्क में टहलने दौरान मेरी नजर एक लड़की पे पड़ी। देखने से तो वो लड़की काफी परेशान लग रही थी। मैंने सोचा शायद उसकी कोई प्रॉब्लम होगी और फिर मैं पार्क टहलने लगा।

थोड़ी देर बाद वह लड़की वहा से चली गयी। लेकिन जहा वह बैठी थी वहां पे एक छोटा सा हैंड पर्स था। मैं वहा पे गया और उस पर्स को देखा तो उसमें कुछ पैसे और कुछ डॉक्युमेंट्स थे। मैं उस पर्स को लेकर पार्क में उस लड़की को ढूढ़ने लगा लेकिन मुझे वह नही मिली। फिर मैं उस पर्स को लेकर अपने घर आ गया।

घर आकर मैं उसके पर्स से उसका आइडेंटिटी कार्ड निकाला। ये ID Card उसके ऑफिस का था जिसमें स्नेहा नाम लिखा था। मैं अगली सुबह उसके ऑफिस गया और उसके बारे में एक वर्कर से पूछा तो उसने बताया कि स्नेह तो पिछले एक सप्ताह से आफिस नही आ रही है। मैंने उस वर्कर से स्नेहा के घर का एड्रेस पूछा तो उसने बताया कि यहां से 5 km की दूरी पे गुरुकुल कॉलोनी है वही पे वह रहती है।

फिर मैं ऑफिस से सीधा उस गुरुकुल कॉलोनी में चला गया। वहा जाने के बाद मैंने एक गार्ड से स्नेहा के बारे में पूछा तो उसने बताया कि स्नेहा मेम पिछली वाली अपार्टमेंट में फ्लैट नंबर 16 में रहती है।

मैं फ्लैट नंबर 16 के पास गया और डोर बेल बजाई थोड़ी देर में स्नेहा ने डोर खोला तो मैंने देखा कि उसके मुँह में ब्रस है और ब्रस करते हुए उसने मुझसे इशारे में पूछा, क्या बात है तो तुरंत मैंने उसका पर्स उसे दे दिया और कहा कि “कल शाम को आपका ये पर्स पार्क में छूट गया था। पर्स देखकर वह काफी खुश हुई और क्योंकि वह ब्रस कर रही थी तो उसने मुझे इशारे में ही अंदर बैठने को कहा। मैंने उसे कहा, नही मुझे अभी घर जाना है। उसने मुझे इशारे में सिर्फ दो मिनट बैठने को कहा, तो मैं अंदर जाकर बैठ गया।

वह तुरंत ब्रस करके आई और मुझसे पूछा कि आप “चाय लेंगे या कॉफी”। मैंने कहा “नही मैं कुछ नही लूंगा मुझे सिर्फ आपके पर्स लौटने थे वो मैंने लौटा दिया अब में जा रहा हु” इतना कहकर मैं वहां से चला गया।

अगले दिन जब मैं शाम को फिर से उसी पार्क में गया तो मैंने स्नेहा को एक छोटी बच्ची के साथ खेलते हुए देखा। स्नेहा उस बच्ची के साथ बहुत खुश नजर आ रही थी। मैं भी स्नेहा की नजरों से थोड़ी दूर जाकर बैठ गया और उसे देखने लगा।

थोड़ी देर बाद स्नेहा की नजर मुझेपे पड़ी और उसने मुझे पहचान लिया। वह तुरंत मेरे पास आई और मुझसे कहा “आप वही हो न जो कल मेरा पर्स मुझे लौटने आये थे”। मैंने कहा “हां मैंने ही आपका पर्स कल लौटाया था”।

स्नेहा :- कल आप इतनी जल्दी में थे कि मैं आपका नाम भी नही पूछ पाई।

अमन :- नही कोई बात नही, वैसे मेरा नाम अमन है।

स्नेहा :- मेरा नाम स्नेहा अगर आज आप जल्दी में न हो तो पार्क के बाहर कॉफ़ी पीने चले।

पार्क के बाहर एक कॉफ़ी शॉप में हम दोनों ने कॉफ़ी पी। कॉफ़ी के पैसे मैं देने जा रहा था लेकिन स्नेहा ने मुझे मना कर दिया। जाते वक्त स्नेह ने मुझे कल डिनर के लिए अपने फ्लैट पे आने के लिए कहा। मैंने स्नेहा को कहा ठीक है मुझे टाइम मिलेगा तो में आऊंगा और इतना कहकर फिर मैं अपने घर चला आया।

रात को सोते वक्त मुझे स्नेहा की याद आने लगी, पता नही उसके बारे में सोचने लगा। मैं तो सिर्फ उससे दो बात ही मिला था और न जाने मुझे अब क्या होने लगा। उसका चेहरा मुझे मेरी आँखों के सामने दिखाई देने लगा और कल की डिनर के बारे में सोचते हुए फिर मैं सो गया।

रात को स्नेहा के फ्लैट जाने से पहले मैंने तैयार होकर आईने के सामने खुदको लगभग 10 से 15 मिनट तक देखा। मैंने अपनी बाइक निकली और सीधा स्नेहा के फ्लैट में गया। स्नेहा ने बहुत प्यार से मुझे अंदर बुलाया।

फिर हम दोनों ने डिनर किया और मैंने स्नेहा से पूछा “आप अपना ऑफिस क्यों नही जा रहे हो”।

स्नेहा :- नही मैं ऑफिस जाऊँगी लेकिन अभी कोई प्रॉब्लम है।

अमन :- और वो प्रॉब्लम क्या है जिसे आप हमें नही बताना चाहते।

स्नेहा :- सच कहूं तो मुझे स्टीमर की प्रॉब्लम है और डॉक्टर ने ऑपरेशन करने को कहा लेकिन ऑपरेशन के लिए मेरे पास उतने पैसे नही है।

अमन :- मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हु।

स्नेहा :- अरे नही, आपको तकलीफ़ उठाने की कोई जरूरत नही है।

डिनर खत्म करने के बाद मैं घर चला आया। लेकिन रात को मुझे नींद नही आ रही थी मैं सिर्फ स्नेहा के बारे में सोचता रहा। बहुत सोचने के बाद फिर मैंने तय किया मैं स्नेहा की मदद जरूर करूँगा।

अगले दिन मैं स्नेहा के फ्लैट में गया और उसे अपने साथ लेकर जाने को लेकिन वो मना करने लगी। मैं नही अपने जिद्द पे गया। मैंने स्नेहा को कहा “मैं तुम्हे ऐसे तकलीफ में नही देख सकता, तुम्हे ऐसे देखता हूं तो मुझे तकलीफ होती है, सच कहूं तो मुझे तुमसे प्यार हो गया है”। ये मेरी ये बात सुनकर स्नेहा रोने लगी और उसने मुझे कहा “अमन तुम मुझे पहले दिन से ही अच्छे लगने लगे तुम्हारी ईमानदारी और मासूमियत मेरे दिल को छू गई।

इन तीन मुलाक़ात में हम दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। मैंने स्नेहा के ऑपरेशन कराने का सारा जिम्मा लिया और उसको एक अच्छे अस्पताल ले गया। वहा पे स्नेहा का ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो गया। अब हम दोनों ने साथ रहने का फैसला कर लिया।

 

तो दोस्तो ये थी मेरी दिल छू लेने वाली Short romantic love story आपको यह मेरी लव स्टोरी कैसे लगी आप हमें Comment करके बता सकते है और अगर आपको यह मेरी adhuri love story पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के पास जरूर Share करें।

 

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