रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी में अतुल की दर्द भरी कहानी

आज हम रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी में आपके सामने एक ऐसे कहानी लेकर आये है जो आपके दिल को छू लेंगी। ये कहानी अतुल हैं जो अपने के बुरी परिस्थितियों और कठिनाइयों के बाबजूद कभी हार नहीं माना। वो कहते है न कि इंसान की परिस्थिति ही उसके ज़िंदगी का सफर तय करती है, कुछ ऐसा ही अतुल के साथ भी हुआ।

अतुल झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले का रहने वाला है। अतुल के जीवन में माता-पिता, एक बड़ा भाई और छोटी बहन है। पिता घर का खर्च संभालने के लिए गार्ड की नौकरी करते है। बड़ा भाई इलेक्ट्रीशियन है जो राँची में ही रहकर काम करते है, उसने अपने भाई बहन को पढ़ाने के लिए अभी तक शादी नहीं कि है। अतुल और उसकी बहन पढाई करने के लिए अपने बड़े भाई के साथ रांची में ही रहते है।

रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी

real life story in hindi

अतुल अभी ग्रैजुएशन के लास्ट ईयर में है और वही उसकी उसकी बहन ग्रैजुएशन के फर्स्ट ईयर में है। एक दिन अतुल का बड़ा भाई काम करके रूम में आ रहा था उसी दौरान एक बाइक पे तीन लड़के सवार थे और वे काफी रफ्तार में थे उन्होंने अतुल के बड़े भाई के बाइक को टक्कर मार के भाग जाते है। 

अतुल का भाई रोड़ पे गिर जाता है और हेलमेट नहीं लगाने के कारण उसके सिर पे चोट लग जाती है जिससे कि नाक व कान से खून निकलने के लगता है। वहाँ वहां के कुछ लोग अतुल के बड़े भाई को अस्पताल ले जाते हैं लेकिन इसी दौरान रास्ते में ही उनकी मौत हो जाती है।

अतुल के बड़े भाई की मौत से पूरे घर में मातम छा गया। अतुल के मां-पिता का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। ऐसी स्थिति में अतुल भी पूरी तरह से टूट चुका था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। लगभग 1 महीने तक अतुल और उसकी छोटी बहन अपने माता-पिता के साथ ही रहे। 

इस दौरान उनकी पढ़ाई भी नहीं हो पा रही थी लेकिन अतुल ने अपने भाई की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए फिर से रांची गया और वहां पर एक मॉल में काम करने लगा। एक महीना काम करने के बाद अतुल ने अपनी छोटी बहन को भी रांची में बुला लिया और उसे एक गर्ल्स हॉस्टल में शिफ्ट कर दिया ताकि वहां पर रहकर वो अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।

अतुल की रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी

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उसी साल 2017 में झारखंड दरोगा (SI) की बहाली निकलती हैं। अतुल दरोगा की भर्ती को देखकर बहुत उत्साहित हो जाता है उसे ऐसा लगता है कि यह भर्ती उसकी जिंदगी और परिस्थितियों को बदल सकती है। वह दरोगा का फार्म भरता है और तैयारी में लग जाता है। लेकिन वह अपने काम के चलते अपनी तैयारी को पर्याप्त समय नहीं दे पाता।

ऐसे में वह मॉल के काम को छोड़कर रात में गार्ड की नौकरी करना शुरू कर देता है। उधर घर में पिता अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए गार्ड का काम कर रहा था तो इधर उसका बेटा अपनी परिस्थितियों को बदलने के लिए गार्ड का काम करना शुरू कर दिया। अब अतुल रात में गार्ड की ड्यूटी के साथ पूरे दिलो जान से अपनी तैयारी भी करने लगा।

कुछ महीनो बाद दरोगा का Exam हुआ और अतुल उसे एग्जाम में सफल हो गया। उसकी मेहनत रंग लाई, अब अगला पड़ाव 10 किलोमीटर की दौड़ पूरी करनी थी। अब अतुल रोज शाम को 5 से 6 बजे तक अपनी दौड़ की तैयारी करता, उसके बाद रात के 8 से सुबह 6 बजे तक गॉर्ड की ड्यूटी करता।

अब वो समय आ गया था कि अतुल दरोगा भर्ती की 10 km दौड़ को सफलता पूर्वक पूरा करके अपने भाई के ख्वाहिश को पूरा करके दिखा दे। अतुल ने अपनी दौड़ सफलता पूर्वक पूरी की लेकिन उनके आंखों में खुशी और गम दोनों थे। गम इस बात की थी कि इस सफलता को देखने के लिए उसका भाई उसके साथ नहीं था।

वैसे तो झारखंड के कोई भी सरकारी भर्ती में 3 से 4 साल लग जाते थे लेकिन ये 2017 का दरोगा भर्ती झारखंड के ऐसा Exam था जो कि महज 6 महीने में पूरी कर ली गई। जब दरोगा(SI) का जॉइनिंग लेटर अतुल कर घर आया तो उनके माता-पिता रोने लगे। अतुल के बहन की आंखों में भी खुशी के आंसू थे।

अतुल अपनी मेहनत से अपने परिवार की परिस्थिति को बदल दिया। लेकिन आज भी अतुल अपने बड़े भाई को याद करके रोता है। ये बात सच है कि पैसा सब कुछ कर सकता है लेकिन कभी भी इंसान की कमी को पूरा नहीं कर सकता है।

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