कुछ रिश्तो में मुनाफा नहीं होता, पर जिंदगी को अमीर बना देते हैं — गुलज़ार

ख्वाबों के पीछे ज़िंदगी उलझा ली इतनी कि, हकीकत में रहने का सलिका ही भूल गए हम — गुलज़ार

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा — गुलज़ार

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत, मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना — गुलज़ार

कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है, ज़िंदगी एक नज़्म लगती है — गुलज़ार

जिंदगी छोटी नहीं होती है, लोग जीना ही देरी से शुरू करते हैं — गुलज़ार

जिंदगी सस्ती है साहब, जीने के तरीके महंगे हैं — गुलज़ार

निगाहों से भी चोट लगती है जनाब, जब कोई देख कर भी अनदेखा कर देता है — गुलज़ार

झूठे तेरे वादों पे बरस बिताये, ज़िन्दगी तो काटी ये रात कट जाए — गुलज़ार

अकेले चलना सीख लो जरूरी नही है जो आज आपके साथ है, वह कल भी आपके साथ‍ रहेगा — गुलज़ार