नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम, बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम।

एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं, सबके दिल से उतर गया हुँ मैं, क्या बताऊँ की मर नहीं पाता, जीते जी जब से मर गया हुँ मैं।

दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया हैं मैंने, आज मुद्दत में तुम्हे याद किया है मैंने।

कौन से शौक़ किस हवस का नहीं, दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं।

यूँ जो ताकता है आसमान को तू, कोई रहता है आसमान में क्या, यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता, एक ही शख्स था जहां में क्या।

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे, जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे।

दिल तमन्ना से डर गया जनाब, सारा नशा उतर गया जनाब।

अपने सब यार काम कर रहे हैं, और हम हैं कि नाम कर रहे हैं।