एक वक्त था जब तेरी आँखों से पी कर जीते थे, लाख बुरे थे लेकिन शराब कभी नहीं पीते थे।

ना ज़ख्म भरे, ना शराब सहारा हुई, ना वो वापस लौटे, ना मोहब्बत दोबारा हुई।

एक बार टूट जाए दिल तो, फिर ना किसी से मोहब्बत दुबारा होती है, जब आए उस बेवफा की याद तो, फिर जीने का शराब ही सहारा होती है।

लबो पे आज उनका नाम आ गया, प्यासे के हाथ में जैसे जाम आ गया, डोले कदम तो गिरा उनकी बाहों में जाकर, आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया।

नशा हम किया करते हैं, इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं, कसूर शराब का नहीं उनका है, जिनका चेहरा हम जाम में तलाश किया करते हैं।

मयखाने बंद कर दे चाहे लाख दुनिया वाले, पर शहर में कम नही है, निगाहों से पिलाने वाले।

कुछ नशा आपकी बात का है, कुछ नशा धीमी बरसात का है, हमें आप युही शराबी मात कहिये, ये नशा आपसे पहली मुलाकात का है।

रहता हूँ बहका बहका तो शराबी ना समझना, कभी किसी की यादें भी बहका दिया करती हैं।

जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों, रात को पी हुई शराब सुबह उतर जाएगी, अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख, पूरी उमर नशे में गुज़र जाएगी।

इतना पीता हू मैं की मदहोश रहता हू, सब कुछ समझता हू पर खामोश रहता हू, जो लोग करते है मुझे गिराने की कोशिश, मै अक्सर उन्ही लोग के साथ रहता हू।