माना की जिंदगी में दिक्कतें कम नहीं पर कम से कम जीने को जिंदगी है क्या यही काफी नही — गुलज़ार
मैंने अपनी जिंदगी के सारे महंगे सबक सस्ते लोगों से ही सीखें हैं — गुलज़ार
गलत जगह सम्मान दे दिया, व्यर्थ दे दिया प्यार, हीरे की कीमत क्या जाने कचरे के ठेकेदार — गुलज़ार
मुझे मालूम है की ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी है, मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलत फैमिया जरूरी होती है — गुलज़ार
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता — गुलज़ार
बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला, जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं — गुलज़ार
जायका अलग है मेरे लफ्जों का, कोई समझ नहीं पाता कोई भुला नहीं पाता — गुलज़ार
वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर, आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं — गुलज़ार
थोड़ा सा रफू करके देखिए ना, फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है — गुलज़ार
यू तो जिंदगी तुझसे शिकायते बहुत थी, मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे तो कतारे बहुत थी — गुलज़ार