मुझे मोहब्बत हैं तेरे नाम से, तू मेरा सदीयों का ख्वाब हैं, मैं अब अलफ़ाज़ कहाँ से लाऊँ, मेरा हमसफ़र लाजवाब हैं।

ज़िन्दगी से मेरी आदत नहीं मिलती, मुझे जीने की सूरत नहीं मिलती, कोई मेरा भी कभी हमसफ़र होता, मुझे ही क्यूँ मुहब्बत नहीं मिलती।

राह भी तुम हो और राहत भी तुम ही हो, सुख और दुख को बांटने वाली हमसफर भी तुम ही हो।

मंजिल मिलने से दोस्ती भुलाई नहीं जाती, हमसफ़र मिलने से दोस्ती मिटाई नहीं जाती, दोस्त की कमी हर पल रहती है यार, दूरियों से दोस्ती छुपाई नहीं जाती।

हमसफ़र बनकर तेरी फिक्र करता हूं, हर शायरी में तेरा ज़िक्र जो करता हूं।

ख्वाहिशों के समंदर के सब मोती तेरे नसीब हो, तेरे चाहने वाले हमसफ़र तेरे हरदम करीब हों, कुछ यूँ उतरे तेरे लिए रहमतों का मौसम, कि तेरी हर दुआ, हर ख्वाहिश कबूल हो।

रुस्वाई ज़िंदगी का मुकद्दर हो गया, मेरा दिल भी पत्थर हो गया, जिसे रात दिन पाने के ख्वाब देखे, वो बेवफा किसी और का हमसफर हो गया।

मुद्दतों के बाद कोई हमसफर अच्छा लगा, गुफ़्तगु अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा।

ना तो कारवाँ की तलाश है, ना तो हमसफ़र की तलाश है, मेरे शौक़-ए-खाना खराब को, तेरी रहगुज़र की तलाश है

उम्र भर का पसीना उसकी गोद मे सुख जायेगा, हमसफर क्या चीज है ये बुढापे मे समझ आयेगा।