नेहा के पिता ने जल्दबाजी में नेहा की शादी सेट कर दी और जब यह बात पंकज को पता चली तो उसने नेहा के पिता को समझाने की बहुत कोशिश किया। पंकज ने कहा कि वह नेहा को बहुत खुश रखेगा लेकिन उसके पिता ने उसकी बात नही मानी और मार पीट कर पंकज को वहाँ से भगा दिया।
एक सप्ताह के बाद नेहा के पिता ने उसकी शादी अपनी जाति के संतोष नाम के लड़के से कर दी। दूसरी तरफ पंकज, नेहा की याद में तड़प तड़प कर रोता रहा। पंकज ने जो साथ रहने के सपने देखे थे वो सब सपना टूट चुका था। एक महीने बाद पंकज गांव से शहर चला गया और अपना पढ़ाई करने लगा। अब नेहा की शादी के लगभग छः महीने हो गए थे लेकिन इस छः महीने में न नेहा पंकज को भूल पायी और न ही पंकज नेहा को भूल पाया।
शादी के एक साल हो जाने के बाद अब नेहा के पति संतोस के व्यवहार पहले जैसा नही रहा अब वह नेहा को बात बात पर गाली देता और मारता। नेहा बेचारी अकेली रोटी रहती। एक दिन नेहा के पति ने घर में एक लड़की को लेकर आया और नेहा को रूम से बाहर कर दिया। यही सिलसिला चलता रहा संतोष अपनी प्रेमिका को घर लेकर आता और नेहा को रूम से बाहर कर देता।
एक दिन नेहा के एक दोस्त ने संतोष के व्यवहार के बारे में पंकज को बताया। पंकज काफी गुस्सा करने लगा लेकिन उसकी आँखों में आँसू भी थे। पंकज ने नेहा की दोस्त से कहा क्या तुम मेरी बात नेहा से करवा सकती हो? नेहा की दोस्त ने कहा ठीक है मैं कोशिश करती हूं।
अगले दिन नेहा दोस्त नेहा के घर गई और नेहा की बात पंकज ने करवाई। नेहा, पंकज की आवाज सुनकर रोने लगी और नेहा को रोते देख पंकज भी रोने लगा। पंकज ने नेहा से कहा क्या तुम मुझसे प्यार करती हो? नेहा ने कहा हा करती हूं, तो चलो हम दोनों भागकर शादी कर लेते है। नेहा ये बात सुनकर चुप हो गई। पंकज ने कहा यही मेरा फोन नंबर है तुम कल मुझे कॉल करके बताना।
नेहा पूरी रात यह सोचने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए। सुबह को नेहा ने अपनी दोस्त के पास कॉल की किया और उससे पूछा कि मैं क्या करूँ मुझे कुछ समझ में नही आ रहा है तो नेहा के दोस्त ने कहा कि तू ज्यादा मत सोच पंकज के साथ चली जा उसके साथ तू ज्यादा खुश रहेगी। अंत में नेहा ने यह तय कर लिया कि वह अब पंकज के साथ ही अपनी जिंदगी जियेगी।
नेहा ने पंकज को कॉल किया और कहा मैं तुम्हारे साथ जाने के लिए तैयार हूं। ये बात सुनकर पंकज के खुशी का ठिकाना नही रहा उसने कहा कि आज रात को ग्यारा बजे तुम तैयार रहना। रात में दोनो कोई उस शहर से दूर किसी दूसरे राज्य में चले गए। वहाँ पे जाकर दोनो ने शादी कर ली।
अब पंकज और नेहा एक किराये के मकान में रहते थे। पंकज वही के एक कोचिंग क्लास में बच्चों को पढ़ाता और उसे बदले में महीने की कुछ सैलरी मिलती। पंकज और नेहा का घर भले ही किराये का था लेकिन दोनों एक दूसरे के साथ काफी खुश थे।
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